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शिक्षक की विवशता 05-Sep-2023

आज के शिक्षक की विवशता

तो विद्यालय में सब ख़ुश थे !

क्योंकि सारे बच्चे पास थे, जो आये, वो पास; जो नहीं आये, वो भी पास थे; जिसने परीक्षा दी, वो तो पास था; जिन्होंने नहीं दी, वो भी पास थे ;

विद्यालय में सब ख़ुश थे !

बस दुःखी था, तो वह अध्यापक ! जो हो रही खोखली नींव से, भविष्य-पतन देख रहा है ।

मग़र क्या करता वह, सरकारी तुगलकी फ़रमान के आगे बेबस- लाचार! थाप लगाने, हाथ रखने तक का अधिकार था जो, छीन लिया हर कुम्हार से वो..!!

फ़िर कहते हैं, हमें हमारे कच्चे बर्तन साफ़, सुथरे, मज़बूत और अच्छे चाहिये...!!

©_अभिषेक चतुर्वेदी 'अभि'

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